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Murli Poems in Hindi

आज की मुरली से कविता (Poem made from today's murli of Shiv baba) - Daily updated. Poems from Brahma Kumar Mukesh bhai (Rajasthan, India). If you have a query or for old poems, contact BK Mukeshbkmukesh1973@gmail.com

 

Below is date wise murli poems. For old murlis, to download/print, visit Murli Poems PDF

Murli poem 01​

* मुरली कविता दिनांक 4-05-2021*

बाप का एक ही फरमान बच्चों तुम मानते जाओ
सतयुग का वर्सा पाने के लिए पवित्र बनते जाओ

पवित्र बनने के बदले 21 जन्मों का वर्सा पाओगे
विश्व की राजाई पाकर सच्चे सौदागर कहलाओगे

अपने मन में कभी कोई खराब ख्याल ना लाओ
कोई दुखदाई बोल किसी को मुख से ना सुनाओ

देवताओं जैसे दिव्य गुणों को धारण करते जाओ
जन्म तुम्हारा अन्तिम है अब पावन बनते जाओ

अज्ञान नींद में सोए हैं चढ़ाकर विकारों का नशा
इसी कारण दुखदाई हुई तुम सब बच्चों की दशा

बाप से बुद्धियोग लगाकर तुम सारे पाप मिटाओ
बच्चों सतयुग की राजाई तुम इसी विधि से पाओ

जन्म चौरासी लेकर तुम सब बन गए तमोप्रधान
शिवबाबा को याद करके बन जाएंगे सतोप्रधान

योगबल से मेरे लाडलों तुम माया पर जीत पाओ
मायाजीत बनकर तुम सब जगतजीत कहलाओ

अपने मुख से सदा ज्ञान रत्न ही निकालते जाओ
मनसा वाचा कर्मणा मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाओ

अन्तिम जन्म में पवित्र बनने की प्रतिज्ञा निभाओ
पवित्र बनने का तरीका औरों को भी सिखलाओ

कल्याणकारी भावना द्वारा गुणग्राही बन जाओ
अन्तर्मन की हलचल तुम सदा के लिए मिटाओ

अवगुण वाली आत्मा के तुम गुण उठाते जाओ
गुणों के ग्राहक बनकर अचल अडोलता पाओ

बाप को सबकुछ सौंपकर बच्चों हल्के हो जाओ
मन बुद्धि से हल्के होकर तुम फरिश्ता कहलाओ

* ॐ शांति *

Murli poem 02

* मुरली कविता दिनांक 3-05-2021*

सर्व धर्म पिताओं के पिता ब्रह्मा बाबा कहलाते
शिवबाबा उनमें प्रवेश कर हम बच्चों को पढ़ाते

इस जन्म का पाप कर्म तुम बाप से ना छुपाओ
बाप की श्रीमत अनुसार श्रेष्ठ कर्म करते जाओ

पाप यदि छुपाया तो ये निरन्तर बढ़ता जाएगा
बाप से तुम्हारा बुद्धियोग कभी ना लग पाएगा

पाप छुपाने वाले पर सौ गुणा दण्ड पड़ जाएगा
ऐसा बच्चा खुद ही अपना सत्यानाश कराएगा

पुरानी दुनिया में हम हैं थोड़े दिनों के मुसाफिर
सब कुछ छोड़कर हमें घर जाना होगा आखिर

मनुष्य से हम देवता बन रहे ये निश्चय जमाओ
पद ऊंचा पाने के लिए श्रेष्ठ कर्म करते जाओ

बिना बाप के सहारे विकारों में ही गोता खाया
कल्प के अन्त में बच्चों ने हाथ बाप का पाया

बाप को याद करके ही पवित्र तुम बन पाओगे
पवित्र बनकर ही तुम पवित्र दुनिया में आओगे

कई बच्चों की चलन छी छी तुल्य नजर आती
ऐसे बच्चों को कच्चा ही माया हप्प कर जाती

श्रीमत के विरुद्ध कर्म करके खुशी ना गंवाओ
ज्ञान को धारण करके तुम बुद्धिमान कहलाओ

ज्ञान की हर बात को अपने आचरण में लाओ
शुद्ध संकल्प जमा करके व्यर्थ मिटाते जाओ

ज्ञान और अनुभव को निरन्तर बढ़ाते जाओ
मस्त फकीर रमता योगी खुद को तुम बनाओ

* ॐ शांति *

Murli poem 03​

* मुरली कविता दिनांक 2-05-2021*

 

अपने धन बल के मिथ्या अहंकार में ना आओ

छोटा हो या बड़ा सभी का रिगार्ड रखते जाओ

 

अपनी चाल चलन तुम देवताओं जैसी बनाओ

पद्मापद्म भाग्यशाली खुद को अनुभव कराओ

 

अच्छी रीति से तुम अपनी संभाल करते जाओ

सबको सुख देकर तुम खुद को लायक बनाओ

 

मेरे बच्चों सदा खुद से तुम पूछना केवल इतना

श्रीमत पर खुद को मैंने लायक बनाया कितना

 

अगर किसी विषय में कमजोर तुम रह जाओगे

ऊंच पद पाने से खुद को वंचित ही तुम पाओगे

 

खुद को यदि तुम सम्पूर्ण पवित्र नहीं बनाओगे

लक्ष्मी नारायण के घराने में प्रवेश नहीं पाओगे

 

मुख से फूल निकले अपनी वाणी ऐसी बनाओ

बच्चों अपनी दृष्टि को तुम पावन बनाते जाओ

 

कामचिता पर चढ़ गए तो कड़ी सजा खाओगे

अंत समय आएगा तब मन ही मन पछताओगे

 

सृष्टि चक्र का ज्ञान अपनी बुद्धि में तुम घुमाओ

ज्ञान स्वरूप बनकर बाप के लाडले कहलाओ

 

सर्व सम्बन्धों का प्यार शिवबाबा से तुम पाओ

अपने श्रेष्ठ भाग्य का नशा खुद पर तुम चढ़ाओ

 

जिसमें खुशी समाई हो संकल्प वही उपजाओ

तन, मन और जीवन को खुशियों से महकाओ

 

*ॐ शांति*

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