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- Gautam Buddha Biography | Audio Article | Brahma Kumaris
Gautam Buddha & Secrets of Buddhism (revealed from Murlis) Main Page ♫ Listen audio article Gautam Buddha Biography BK Smarth 00:00 / 09:04 Read Article along ➤On this article you will know who was Siddharth Gautam Buddha, the time of his coming (2250 years ago) and his task of establishment of the religion of Buddhism. Everything that you need to know about his life, task and after task. "A complete biography." ✱Siddharth Guatam Buddha - the Person✱ While you are right that in that time, about 2200 years ago, there were yet many guru (spiritual guides) who were practicing similar methods for liberation from life or to attain the knowledge of self and god, yet only Buddha was successful in claiming the self-realisation, and that too very soon as he sat under the famous Buddha tree. Intentions were quite clear. If one attains complete detachment from the material world, then he comes closer to reaching God, which is the goal of human life as understood by sages of that time. ➤But even when all the sanyasi (those who renunciate and live away from the family life) did not reach that stage of liberation. This was an excellent observation of Mahatma Buddha (that time, Siddharth) and hence he decided to choose a middle way (he called it the balancing force). In this middle way, he preached that one may stay in their family, with their wife and children, enjoy the pleasures of life, and yet renunciate the worldly matters, the attachment towards everyone. This pleased many regional Kings during that time, as Kings cannot leave their Kingdom and its people aside and go and live in a forest. Hence this way Buddha's teachings spread with the help of Kings. ➤This was a fantastic way to see life. New and yet not new. This attracted thousands of followers to Buddha at that time also. Many visited him to get solutions to their challenges. They began to see Buddha (Siddharth) as a self-realised person... Read Full Article Useful Link ➤ Revelations➤ Life & Beyond
- Rewrite Your Future
How to Re-write my Future? BK Shivani's short Talks Video Description Rewrite Your Future
- Om Shanti meaning in Hindi | Audio Article | Brahma Kumaris
ओम शान्ति का सत्य अर्थ Main Page ♫ Listen audio article Om Shanti meaning in Hindi BK Smarth 00:00 / 07:06 Read Article along आईये अब हम ‘ओम शान्ति' महा-मंत्र का सत्य व यथार्थ अर्थ जानते हैं। आपने देखा होंगा कि जो जन ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़े हैं वे एक दूसरे को 'ओम शांति' कह कर मिलते और अभिवादन करते हैं। और यह दो शब्दों का अर्थ है 'मैं शांत स्वरुप आत्मा हूँ' व 'मेरा स्व-धर्म शांति है'। ओम का यहाँ सामान्य सा अर्थ है 'मैं' और शांति अर्थात शांत अवस्था, व इसके संदर्भ में स्व-धर्म। ➥ वास्तव में ॐ शांति... शांति... शांति... भारत का प्राचीन मंत्र है जिसे अक्सर सतसंग में, यज्ञ में और भोजन से पहले बोला जाता है। अगर आपने स्कूली शिक्षा भारत से ली है, तो आपको अवश्य ही पता होगा कि प्राथमिक विद्यालयों में दोपहर भोजनावकाश (lunch-break) के समय भोजन परोसने से पहले भी यह गाया जाता है। इस वाक्यांश का २३००-वर्ष-पुरानी प्रार्थना 'असतो माँ सद्गमय' में भी पता लगाया जा सकता है। यह प्रार्थना परमात्मा से आने का निवेदन करती है कि वे आएं और शांति,अविनाशी ज्ञान व धर्म की दुनिया पुनः स्थापन करे। परन्तु वास्तव में इसका अर्थ आत्मा के सम्बन्ध में है , नाकि देह के। आइये अब विस्तार में अन्वेषण करे... Read Full Article Useful Link ➤ Hindi Articles on Blog
- Dadi Gulzar Hindi biography | Audio Article | Brahma Kumaris
दादी गुलज़ार (हृदय मोहिनी जी) की जीवनी Main Page ♫ Listen audio article Dadi Gulzar Hindi biography BK Smarth 00:00 / 07:26 Read Article along राजयोगिनी दादी हृदय मोहिनी जिनको गुलज़ार के नाम से भी जाना जाता है, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासनिक प्रमुख थीं (अप्रैल 2020 से १० मार्च 2021 तक)। दादी गुलज़ार, यज्ञ के अति आरंभ (1936) मे, 8 वर्ष की आयु में "ओम निवास" नामक बोर्डिंग स्कूल द्वारा इस यज्ञ में शामिल हुईं, जिसकी स्थापना दादा लेखराज (जिनका तब नाम बदल कर ब्रह्मा बाबा रखा गया) ने बच्चों के लिए की थी। दादी गुलज़ार की आयु 92 थी जब उन्होंने शरीर त्यागा व अव्यक्त हुए। ✱ प्रारंभिक जीवन कहानी ✱ दादी गुलज़ार, जिनका लौकिक नाम शोभा था, सन 1929 में भारत के हैदराबाद के सिंध शहर में हुआ। उनकी माताजी के शोभा को मिला कर ८ बच्चे थे। इसलिए उन्होंने स्वेच्छा से शोभा को बाबा के यज्ञ में आत्मसमर्पण करा दिया क्योंकि वे पहले ही चाहतीं थी कि उनका एक बच्चा आध्यात्मिकता की और जाये... Read Full Article Useful Link ➤ ➤ महान आत्माओ की जीवनी
- Maha Shivratri Hindi article | Audio Article | Brahma Kumaris
महा शिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य एवं ईश्वरीय सन्देश Main Page ♫ Listen audio article Maha Shivratri Hindi article BK Smarth 00:00 / 10:41 Read Article along ✱महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व✱ महा अर्थार्थ 'महान', रात्रि अर्थार्थ 'अज्ञान की रात' और जयन्ती अर्थार्थ 'जन्म दिवस'। परमपिता परमात्मा शिव तब आते हैं जब अज्ञान अंधकार की रात्रि प्रबल हो जाती है। परम-आत्मा का ही नाम है शिव, जिसका संस्कृत अर्थ है 'सदा कल्याणकारी', अर्थात वो जो सभी का कल्याण करता है। शिवरात्रि व शिवजयन्ती भारत में द्वापर युग से मनाई जाती है। यह दिन हम ईश्वर के इस धरा पर अवतरण के समय की याद में मनाते हैं। शिव के अलावा ओर किसी को भी हम 'परम-आत्मा' नहीं कहते। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को देवता कहते है। बाकि सभी है मनुष्य। तो हम उसी निराकार परमपिता (सभी आत्माओ के रूहानी बाप) के अवतरण का यादगार दिवस मनाते है। आईये और शिवरात्रि का यथा अर्थ सन्देश पढ़े। ✤ शिव की रात्रि क्यों? शिव के साथ रात शब्द इसलिए जुड़ा है क्योकि वो अज्ञान की अँधेरी रत में इस सृष्टि पर आते हैं। जब सारा संसार, मनुष्य मात्र अज्ञान रात्रि में, अर्थात माया के वश हो जाता है, जब सभी आत्माएं 5 विकारो के प्रभाव से पतित हो जाती हैं, जब पवित्रता और शान्ति का सत्य धर्म व स्वम् की आत्मिक सत्य पहचान हम भूल जाते है। सिर्फ ऐसे समय पर, हमे जगाने, समस्त मानवता के उत्थान व सम्पूर्ण विश्व में फिर से शान्ति, पवित्रता और प्रेम का सत-धर्म स्थापित करने परमात्मा एक साधारण शरीर में प्रवेश करते हैं। ✱भगवत गीता में यह श्लोक है जो इसे दर्शाता है ➤ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भव- ति भारत । अभ्युत्थान- मधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्- ॥४-७॥ परित्राणाय- साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्- । धर्मसंस्था- पनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥४-८॥ ✦ शिव अवतरण ✦ परमात्मा पिता का हम बच्चों से यह वायदा है कि जब-जब धर्म की अति ग्लानि होंगी, सृष्टि पर पाप व अन्याय बढ़ जायेगा है... तब वे इस धरा पर अवतरित होंगे... अब हमने जाना है की वो एक साधारण मनुष्य तन का आधार लें, हमें सत्य ज्ञान सुनाकर, सद्गति का रास्ता दिखा, दुःखों से मुक्त कर रहे हैं। यह गायन वर्तमान समय का ही है, जबकि कलियुग के अन्त और नई सृष्टि सतयुग के संगम पर, स्वयं परमात्मा अपने वायदे अनुसार इस धरा पर अवतरित हो चुके हैं , तथा इस दुःखमय संसार (नर्क) को सुखमय संसार (स्वर्ग) में परिवर्तन करने का महान कार्य गुप्त रूप में करा रहे हैं।..... Read Full Article Useful Link ➤ इसका PDF version
- 8 powers of Soul in Hindi | Audio Article | Brahma Kumaris
आत्मा की अष्ट शक्तियाँ - राजयोग से प्राप्ति Main Page ♫ Listen audio article 8 powers of Soul in Hindi BK Smarth 00:00 / 09:39 Read Article along 8 Powers of Soul said in Hindi - आत्मा की ८ शक्तिया - अब हमको यह अनुभूति हो गई है कि आत्मा अमर है और इस शरीर में रहकर वो अपना कर्म करती है, व उस कर्म के फल को भोगती है। अब थोड़ा आगे समझें : आत्मा का मौलिक आंतरिक शक्तियाँ जिसके ज़रिए हम हमारे जीवन की यात्रा को बनाए रखते हैं। वह है समाने की शक्ति, सहन शक्ति, समेटने की शक्ति, सामना करने की शक्ति, परखने की शक्ति, निर्णय करने की शक्ति, सहयोग करने की शक्ति और विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति। 1 ➤ समाने की शक्ति समाने की शक्ति दूसरों की मौजूदगी, विचार और इच्छाओं को विस्तार रूप से स्वीकार करने की क्षमता है। 2 ➤ सहन शक्ति सहन करने की शक्ति कठिन परिस्थितियों को सहज रूप से संभालकर, उनसे प्रभावित न हो कर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने की क्षमता है। सब कुछ सहन करने की शक्ति। 3 ➤ सामना करने की शक्ति सामना करने की शक्ति बाह्य और आंतरिक बाधाओं, परीक्षाओं और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता है। 4 ➤ समेट ने की शक्ति समेटने की शक्ति हर चीज़ों को ख़त्म करने की और व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करने की क्षमता है। 5 ➤ परखने की शक्ति परखने की शक्ति सूक्ष्म को पहचानना और क्या सही है उसको जो गलत है उससे अलग करने की क्षमता है। 6 ➤ निर्णय लेने की शक्ति निर्णय लेने की शक्ति अपने आप में और दूसरों मे विशिष्ट गुण, निर्णय और कार्यों को आकलन करने की क्षमता है। 7 ➤ सहयोग करने की शक्ति सहयोग करने की शक्ति दूसरों के प्रति ध्यान और समय देना, अपने अनुभव और ज्ञान की सेवा देना और उनके साथ मिलकर काम करने की क्षमता है। 8 ➤ विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति बाहरी दुनिया की उथल-पुथल से एक कदम पीछे ले, कुछ क्षणों के लिए अलग हो जाने की ये हमारी शक्ति है। Read Full Article Useful Link ➤ PDF➤ 8 Powers of Soul Hindi
- 7 virtues of Soul in Hindi | Audio Article | Brahma Kumaris
आत्मा के ७ मौलिक गुण Main Page ♫ Listen audio article 7 virtues of Soul in Hindi BK Smarth 00:00 / 11:03 Read Article along ★ सार➙ हर आत्मा में सात मूल गुण होते हैं जो स्वयं परमात्मा द्वारा दिए गए हैं। यह हैं पवित्रता, शांति, प्रेम, सुख, आनंद, शक्ति व ज्ञान। आइये हम इन सद्गुणों को अच्छे से जानें और उन्हें अपने जीवन मेंधारण करे। 1✱ पवित्रता पवित्रता,आत्मा का पहला गुण भी है और सुख - शांति की जननी भी है... 2✱ शांति "शांति आपके गले का हार है" - शिव बाबा (स्त्रोत : मुरली) आज प्रत्येक मनुष्य शांति... 3✱ प्रेम माना जाता है कि ईश्वर प्यार का सागर है। प्रेम आत्मा की मौलिक अनुभूति है... 4✱ सुख सुख, प्राप्तियों व स्वतंत्रता का एक मिश्रित अनुभव है। सुख का आधार प्राप्तियां हैं... 5✱ आनंद आनंद , सुख की सर्वोच्च अवस्था है। यह सुख - दुःख से परे अवस्था का अनुभव है और यही आत्मा की सतयुगी अवस्था है... 6✱ शक्ति ये आत्मा की आध्यात्मिक शक्तियाँ हैं, जिनका उपयोग हम जीवन की कई परिस्थितियों में करते हैं... 7✱ ज्ञान आत्मिक अर्थात रूहानी ज्ञान सभी गुणों का स्त्रोत है। सत्य ज्ञान का अर्थ है आत्मा, परमात्मा (रचता)और प्रकृति (रचना) का यथार्थ ज्ञान जिससे आत्मा में रोशनी आ जाती है, बुद्धि का बल आता है... Read Full Article Useful Link ➤ ➤ राजयोग कोर्स online
- BKWSU Introduction | Audio Article | Brahma Kumaris
"Introduction" - Brahma Kumaris BKGSU Main Page ♫ Listen audio article BKWSU Introduction BK Smarth 00:00 / 08:37 Read Article along Brahma Kumaris Godly Spiritual University is established by the incorporeal God-Father Shiva (the Supreme Soul) as a foundation to recreate the new heavenly world. ➥ We are an internationally recognised non-governmental organisation (NGO) helping people from all religious and cultural background to recognise and experience the inner being (soul) and bring positive and magical transformation in personal lives through the practice of rajyoga meditation. ✱Our Early Story✱ 'Om Mandli' - as it was named, was a group of a few tens of children, mothers, young and old men, in the very beginning time (late 1936) who surrendered their lives in the direction towards God after some or other divine experiences they received while attending a Satsang (spiritual retreat) at Dada Lekhraj's house. Right that time, not many realised the fact that it was God who was working through the medium of Dada Lekhraj. But as they received such experiences, they continued on the path. They tolerated harsh words and opposition of the whole community including their relatives, just because they followed celibacy and decided to walk on the path shown by God. ➥ In spite of the incredible social upheavals which were going on in pre-partition India, these people, a group of about 384 came together, initially in Hyderabad and a year later they moved to Karachi. With time, a simple and clear body of knowledge about the nature of the soul, God and time became revealed. In 1950 (two years after Partition), the group moved to its present location at Mount Abu in Rajasthan, India. Until then, these nearly 400 individuals lived as a self-sufficient large family, devoting their time to intense spiritual study, meditation, and self-transformation. Their undeviating faith and sacrifice became immortal... Read Full Article Useful Link ➤ Watch➤ Video Library (imp)
- Maha Shivratri Truth | Audio Article | Brahma Kumaris
Maha Shivratri ~Spiritual Significance & Message Main Page ♫ Listen audio article Maha Shivratri Truth BK Smarth 00:00 / 09:00 Read Article along ✦Spiritual Significance✦ Maha literally means 'Great', and Ratri is 'night' and jayanti means 'born date/time'. The word “Shiva" or "Shiv" has a Sanskrit origin, which translated to "benefactor". Therefore, “Shivaratri” implies that the incorporeal God (Shiva) incarnates in our world at such a time when the night of utter darkness prevails. The word “ratri” here does not recognise the darkness that falls after sunset, rather, it signifies the darkness of extreme ignorance (lack of spiritual knowledge) and unrighteousness in the world. Shiv-ratri or Shiv Jayanti is celebrated in Bharat (ancient India) since the copper age. ✱Why is it 'Ratri'? Ratri is associated with Shiva because he incarnates at a time during the world cycle when it is a night of total darkness or ignorance of the self, and of the supreme soul, the father. When we human souls become impure under the influence of 5 vices (lust, anger, greed, ego, material attachment), and when the true religion of purity and peace and the spiritual self-identity is forgotten, he comes to restore the humanity in its highest stage, which is the original religion of deities (Devi-devta Dharma, as we say in Hindi). ➥In such night only, god has to come to awaken us, to re-establish the Satya Dharma (true religion) of peace, purity and universal love and brotherhood. He comes to uplift the entire humanity and thereby free us all from the sorrow and . This is remembered in Shrimat Bhagavad Gita in this sloka: Yada Yada hi Dharmasya... which says: "Whenever the original religion of soul is forgotten and defeated, I incarnate in the world to re-establish dharma, the golden age (heaven), to uplift the goodness and annihilate the evil. I come so in every kalpa (cycle)..." Read Full Article Useful Link ➤ PDF version of this Article
- राजयोग कोर्स का परिचय | Brahma Kumaris
राजयोग कोर्स का परिचय - BKWSU Hindi Course Online 7 दिवसीय राजयोग कोर्स - ब्रह्मा कुमारीज ईश्वरिया विश्व विधयालय मनुष्य अपने जीवन में कई पहेलियाँ हल करते है और उसके फलस्वरूप इनाम पते है | परन्तु इस छोटी-सी पहेली का हल कोई नहीं जानता कि – “मैं कौन हूँ?” यों तो हर-एक मनुष्य सारा दिन “मैं...मैं ...” कहता ही रहता है, परन्तु यदि उससे पूछा जाय कि “मैं” कहने वाला कौन है? तो वह कहेगा कि-- “मैं कृष्णचन्द हूँ... या ‘मैं लालचन्द हूँ” | परन्तु सोचा जाय तो वास्तव में यह तो शरीर का नाम है, शरीर तो ‘मेरा’ है, ‘मैं’ तो शरीर से अलग हूँ | बस, इस छोटी-सी पहेली का प्रेक्टिकल हल न जानने के कारण, अर्थात स्वयं को न जानने के कारण, आज सभी मनुष्य देह-अभिमानी है और सभी काम, क्रोधादि विकारों के वश है तथा दुखी है | अब परमपिता परमात्मा कहते है कि— “आज मनुष्य में घमण्ड तो इतना है कि वह समझता है कि—“मैं सेठ हूँ, स्वामी हूँ, अफसर हूँ,” परन्तु उस में अज्ञान इतना है कि वह स्वयं को भी नहीं जानता | “मैं कौन हूँ, यह सृष्टि रूपी खेल आदि से अन्त तक कैसे बना हुआ है, मैं इस में कहाँ से आया, कब आया, कैसे आया, कैसे सुख- शान्ति का राज्य गंवाया तथा परमप्रिय परमपिता परमात्मा (इस सृष्टि के रचयिता) कौन है?” इन रहस्यों को कोई भी नहीं जानता | अब जीवन कि इस पहेली को फिर से जानकर मनुष्य देही-अभिमानी बन सकता है और फिर उसके फलस्वरूप नर को श्री नारायण और नारी को श्री लक्ष्मी पद की प्राप्ति होती है और मनुष्य को मुक्ति तथा जीवनमुक्ति मिल जाती है | वह सम्पूर्ण पवित्रता , सुख एवं शान्ति को पा लेता है | जब कोई मनुष्य दुखी और अशान्त होता है तो वह प्रभु ही से पुकार कर सकता है- “हे दुःख हर्ता, सुख-कर्ता, शान्ति-दाता प्रभु, मुझे शान्ति दो” विकारों के वशीभूत हुआ-हुआ मुशी पवित्रता के लिए भी परमात्मा की ही आरती करते हुए कहता है- “विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा !” अथवा “हे प्रभु जी, हम सब को शुद्धताई दीजिए, दूर करके हर बुराई को भलाई दीजिए |” परन्तु परमपिता परमात्मा विकारों तथा बुराइयों को दूर करने के लिए जो ईश्वरीय ज्ञान देते है तथा जो सहज राजयोग सिखाते है, प्राय: मनुष्य उससे अपरिचित है और वे इनको व्यवहारिक रूप में धारण भी नहीं करते | Our Aim and object - to become a deity with divine virtues. परमपिता परमात्मा तो हमारा पथ-प्रदर्शन करते है और हमे सहायता भी देते है परन्तु पुरुषार्थ तो हमे स्वत: ही करना होगा, तभी तो हम जीवन में सच्चा सुख तथा सच्ची शान्ति प्राप्त करेंगे और श्रेष्ठाचारी बनेगे | आगे परमपिता परमात्मा द्वारा उद्घाटित ज्ञान एवं सहज राजयोग अ पथ प्रशस्त किया गया है इसे चित्र में भी अंकित क्या गया है तथा साथ-साथ हर चित्र की लिखित व्याख्या भी दी गयी है ताकि ये रहस्य बुद्धिमय हो जायें | इन्हें पढ़ने से आपको बहुत-से नये ज्ञान-रत्न मिलेंगे | अब प्रैक्टिकल रीति से राजयोग का अभ्यास सीखने तथा जीवन दिव्य बनाने के लिए आप इस प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व-विधालय के किसी भी सेवा-केन्द्र पर पधार कर नि:शुल्क ही लाभ उठावें | कोर्स - पहला दिन (Begin)
- Contribute to The Shiv Baba Service Initiative
Contribute to The Shiv Baba Service initiative Contribute Money On godly permissions, presenting you an opportunity to be a helping hand in Godly services through the websites, mobile apps and channels (YouTube & SoundCloud) running through the 'Shiv Baba Service' initiative. To know more about the initiative, click here . How can you contribute? Answer : If you are staying at home and have some free time, you can devote some time to the required services. This page displays the services already running and the needed task to be done and a form which you can fill and send us to apply to join the team. Services are unlimited, and there is no limitation. If you are getting time after family responsibilities and Self Purusharth (effort making), then you should give this time in service. Apart from mansa sewa, here is a list of services you can do while staying at home. NOTE : When you fill the form to send us your notice to contribute in services, you may need the ''code'' which is given after each below service (1T, 2A, etc.), otherwise just 'describe' the service you can or wish to do. 1. Translation We are to translate the entire website (www.brahma-kumaris.com ) and specially the "online RajYoga course" into Hindi, and if possible and required, in other languages also. We need help of those who are native to this language and also took the Gyan and are a BK student for atleast 3 years. If you feel happy about this and willing to contribute your time and energy, fill this form to inform us. 2. Responding to Emails/Questions This is the most valuable service. You will be able to respond to questions that we receive daily via email and contact form. For this, we need a few souls who are responsible and have and are in Gyan and who are following the shrimat in everyday life. If you wish to contribute to this service, fill this form to apply. 3. Blog posting We need an experiences person who worked on Wordpress (self-hosted), who can daily post Murlis on our BabaMurli.org blog. Also, we need someone to cooperate in maintaining and improving our WordPress Blog - which has Articles and Question-Answers. Task: Write posts, improve website design, additions, and more. f you know the WordPress platform very well and are willing, then let us know by filling this form . 4. Murli Manthan You can read and explain daily gyan murli in the language you know. If appropriate , we shall post your recorded audio within the daily murli manthan series of our YouTube channel. 5. Developing iOS Mobile app A new app needs to be made for general audience for RajYog course and its resources with other features later added. If you have knowledge of making an iPhone app , contact us using this form . If you wish to contribute in other services like editing videos for our YouTube channels, written articles, painting posters, or anything that can guide human beings towards the path of spirituality as shown by God. Thus for any such other contribution, Contact Us using this link.
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