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- ४ विषय - ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के students के मुख्य 4 विषय जो ज्ञान मुरली के है। 4 subjects of Brahma Kumaris Godly University students in Hindi. ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मुख्य 4 विषय 7 दिवसीय कोर्स English यज्ञ की कहानी ब्रह्माकुमार व ब्रह्मकुमारियों द्वारा मुरली ज्ञान अमृत से अध्ययन करने वाले मुख्य 4 विषय निम्नलिखित हैं। 1. ज्ञान ज्ञान के अर्थ है बोध। खुशी हमारे विवेक ( ज्ञान का गहन चिंतन ) पर आधारित है। बच्चों को ज्ञान दिया जाता है जिससे वो सही एवं गलत के अंतर को समझ सकें। दूसरे शब्दों में ज्ञान प्रकाश ही हमारे जीवन यात्रा एवं मुक्ति का मार्गदर्शन करता है। परमात्मा सत्य ज्ञान द्वारा सभी आत्माओं को स्व के प्रति जागृत करते हैं ,जिसे आत्मायें अज्ञानतावश विस्मृत कर चुकी हैं। परमात्मा निराकार है इसलिए वह सत्य ज्ञान मुरलियों के माध्यम से ब्रह्मा मुख द्वारा उचारते हैं। हम आत्मायें ज्ञान सागर बाप के बच्चे हैं परन्तु स्वस्मृति भूलने के कारण 5 विकारों (काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार) से घिर जाते हैं जो दुखों के कारण हैं फिर हम परमात्मा को दुखों से मुक्ति के लिए पुकारते हैं। आत्माओं को ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है? - मुरली क्या है? 2. राजयोग विकारों के संपूर्ण विनाश से ही आत्मा में ज्ञान व विवेक जागृत होता है।राजयोग अथवा राजयोग हम बच्चों के सामने परमात्मा ही प्रत्यक्ष करते हैं। परमात्मा से सीधे सम्बन्ध के द्वारा आत्मायें सम्पूर्ण पवित्र बनती हैं और जीवन मुक्ति को प्राप्त करती हैं। राजयोग में हम परमात्मा, जो कि ज्योति व शक्ति के बिंदुरूप है ,उस पर ध्यान लगाते हैं। हम स्वयं को भी परमपिता पमात्मा सामान ज्योति बिंदु के रूप में अनुभव करते हैं। यह बुद्धि योग है इसलिए इसमें अनुभव किया जाता है ,साक्षात्कार की अपेक्षा नहीं की जाती। राजयोग में हमें गहन अनुभूति होती है कि परमात्मा से प्रेम व शांति की किरणे हम तक पहुँच रही हैं। राजयोग आत्मा की अष्ट शक्तियों को जागृत करता है। राजयोग का विषय पूर्णतः गुप्त होता है अर्थात यदि आप योग में हैं तो बाह्य रूप से कोई भी समझ नहीं सकता। आप किसी को मुरली पढ़ते या पढ़ाते तो देख सकते हो परन्तु याद को इन नेत्रों द्वारा देखा नहीं जा सकता। 3. धारणा "निरंतर अभ्यास हमें संपूर्ण बनता है " यह विषय सभी के द्वारा भलीभांति देखा जा सकता है। यह ज्ञान का जीवन में प्रयोग है। उदाहरण के लिए हमें ज्ञान है की हम आत्मा हैं परन्तु धारणा का अर्थ है उसी ज्ञान का स्वरुप बनना अर्थात देहीअभिमानी स्थिति में स्थित होना। इस स्थिति में सभी आत्मिक गुण- सुख,शांति,प्रेम,आनंद,पवित्रता,ज्ञान एवं शक्ति, हमारे प्रत्येक कर्म में दिखाई देते हैं। यह ईश्वरीय ज्ञान द्वारा लौकिक जीवन जीने का तरीका है। प्रत्येक आत्मा अपनी क्षमतानुसार ज्ञान को समझती व जीवन में धारण करती है। मुरली द्वारा ज्ञान समझा जाता है एवं विवेक बढ़ता है। जैसा कि ज्ञात है सूर्य अपना प्रकाश चारों ओर सामान रूप से फैलाता है उसी प्रकार परमात्मा भी अपना ज्ञान सभी को सामान रूप से देते हैं किन्तु प्रत्येक इसे अपनी अपनी क्षमतानुसार ग्रहण करता है। इसी ज्ञान को धारण कर हम लक्ष्मी और नारायण बनते हैं। यह गुणों की धारणा है। आत्मा के ७ गुण होते हैं। 4. विश्व सेवा जब एक आत्मा जागृत हो जाती है तो वह दीपक के सामान अन्य आत्माओं को भी प्रज्ज्वलित करती हैं। हम भाग्यवान आत्मायें हैं जो परमात्मा के द्वारा सत्य ज्ञान लेती हैं और इस ज्ञान अमृत के द्वारा विश्व की सेवा करती हैं। बाबा कहते हैं - यदि तुम बच्चे जागती ज्योत बन मुझसे वर्सा लेते हो,तो तुम्हारी जिम्मेवारी है कि अपने अन्य भाई बहनों को भी जगाओ और उनका भी भाग्य बनाओ। दिन प्रतिदिन यह ज्ञान और भी साफ़ होता जा रहा है इसलिए जिन्होंने आरम्भ में अविश्वास किया ,वह भी वापस आ रहे हैं। ''ब्रह्मकुमारियों को प्रतिदिन मुरली में यही शिक्षा मिलती है कि सेवा स्व व विश्व ,दोनों के प्रति लाभदायक होती है'' - अव्यक्त बापदादा। जो अपने मन व बुद्धि को सदैव दूसरों की सेवा प्रति व्यस्त रखेगा वह लौकिक विघ्नो से दूर रहेगा। परमात्मा हमें जीवन जीने के सही मार्ग सिखलाते हैं। समस्त विश्व के उद्धार के लिए जीवन जीने का तरीका सर्वोत्तम होता है। विश्व सेवक बनने के लिए दिव्य गुण, सभी प्रति प्रेम, दया और साथ ही बेहद के वैराग्य की आवश्यकता होती है। पढ़े - परिचय सर्व प्रति ईश्वरीय सन्देश मैं इस संगम युग के समय ( आत्मा व परमात्मा के मिलन का समय ) पुनः विकारी दुनिया को मिटा एक नयी दुनिया ( स्वर्ग ) की स्थापना करने के लिए आया हूँ। मैं तुम्हें सत्य ज्ञान देता हूँ जिससे तुम स्वराज्याधिकारी बनते हो। जब तुम मुझे याद करते हो तो मैं तुम्हें शक्ति प्रदान करता हूँ। इसलिए मीठे बच्चे ,इस पुरानी पतित दुनिया को भूल जाओ क्योंकि मैं तुम्हारे लिए सुख ,शांति की एक नयी दुनिया की स्थापना कर रहा हूँ जहाँ सभी सर्व गुण सम्पन्न व आत्माभिमानी स्थिति मे होंगे। वहां सभी न्यायपूर्ण होगा। वह एक सपूर्ण संसार होगा। Previous Next ➜ Useful Links Godly Resources Videos
- Nature's Relaxing Sounds and Music | Brahma Kumaris
Nature's relaxation and calming sounds and music for peace, meditation, sleep, studying and relaxing. Relax in a deep forest, ocean waves, birds sounds, etc. Relaxing Nature Sounds Music for peace & relaxation Main Page Relaxation music collection. *Nature is the mother of human beings. She gives everything to sustain, heal and rejuvenate us. Here is the BEST collection Audio playlist of nature sounds and music from deep forest (jungle), river water stream, ocean waves, rain sounds, birds chirping, hill tops and lone islands. For Relax-Meditation-Sleep-Study . Please SHARE this page to your family & friends to bring peace in their life, closer to mother nature and the father God. Visit Nature Images to see our wonderful collection of selected natural images. Why Peace ? What is Meditation? Meditation music
- 500 | Brahma Kumaris
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- Advance Murli — Brahma Kumaris
Get BK Murli in advance, July 2020. Shiv Baba's Daily Murli in PDF to print. For Brahma Kumaris Godly University's BK students. Advance Murli (official) ♪ Listen Murli Murli Poems What is Murli? BK Murli in Advance Notice : From now, our new place to serve Shiv Baba's Murli in advance will be the advance murli section (save/bookmark this link) of our official blog, where you can get month-wise murlis in PDF format to read online, download or print. ------------- Get Shiv Baba's Gyan Murli in advance in PDF files, to read, or download and print . Official service for BK RajYog centres across India and other countries who need Baba's Murli in advance to print and keep for regular students. Please SHARE the main BK website ( BKGSU.org ) to BK brothers and sisters. यहाँ आपको शिव बाबा की रोज की ज्ञान मुरली 'In-Advance' मिलेंगी। यह सुविधा विशेष ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेन्द्रों के लिए है जहा मुरली समय से पहले मिलना जरुरी है। इस website को बी.के भाई बहनो तक SHARE करे। Share on WhatsApp ⇗ हिन्दी मुरली - January 2022 1 Jan 2022 2 Jan 2022 3 Jan 2022 4 Jan 2022 5 Jan 2022 6 Jan 2022 7 Jan 2022 8 Jan 2022 9 Jan 2022 10 Jan 2022 11 Jan 2022 12 Jan 2022 13 Jan 2022 14 Jan 2022 15 Jan 2022 16 Jan 2022 17 Jan 2022 18 Jan 2022 19 Jan 2022 20 Jan 2022 21 Jan 2022 22 Jan 2022 23 Jan 2022 24 Jan 2022 25 Jan 2022 26 Jan 2022 27 Jan 2022 28 Jan 2022 29 Jan 2022 30 Jan 2022 English Murli - Jan 2022 1 Jan 2022 2 Jan 2022 3 Jan 2022 4 Jan 2022 5 Jan 2022 6 Jan 2022 7 Jan 2022 8 Jan 2022 9 Jan 2022 10 Jan 2022 11 Jan 2022 12 Jan 2022 13 Jan 2022 14 Jan 2022 15 Jan 2022 16 Jan 2022 17 Jan 2022 18 Jan 2022 19 Jan 2022 20 Jan 2022 21 Jan 2022 22 Jan 2022 23 Jan 2022 24 Jan 2022 25 Jan 2022 26 Jan 2022 27 Jan 2022 28 Jan 2022 29 Jan 2022 30 Jan 2022 Older Murlis ➥ Dec 2021 murlis Nov 2021 murlis Oct 2021 murlis Sept 2021 murlis Aug 2021 murlis July 2021 murlis Old Murlis (Audio, PDF) Thought for Today Daily Murli Website Murli Chintan (Bk Suraj)
- Test Page | Brahma Kumaris Sustenance
Test page for BK Sustenance official website by Shiv Baba Service team. Test Page for BK Sustenance site
- 500 | Brahma Kumaris
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- 500 | Brahma Kumaris
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- साकार व अव्यक्त मुरली क्या है? - Brahma Kumaris
मुरली परमपिता परमात्मा (शिव बाबा) की वाणी है। जानिए साकार व अव्यक्त मुरली क्या है? What is Gyan murli in Hindi? मुरली और श्रीमत क्या है? English मुरली उस ज्ञान का अभिलेख है जो स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा, अपने साकार माध्यम (रथ) के द्वारा सुनाते हैं। यह अविनाशी ज्ञान, समस्त मनुष्य आत्माओ अर्थात अपने बच्चो के प्रति परमपिता शिव के मधुर महावाक्य हैं। बचपन से ही हम सभी को अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु परमात्मा की प्रार्थना करना सिखाया जाता है। हम यह भी विश्वास करते हैं कि परमात्मा सब कुछ जानता है ,वह सर्वज्ञ है। अनेकों धर्म में यह माना जाता है कि परमात्मा सत्य है ,वह रचता है और सभी पदार्थ,प्राणी इत्यादि का ज्ञाता है ,किन्तु वह कौन है ? कैसा है ? हमें कब और कैसे वह आकर ज्ञान देता है ? हमें कहीं न कहीं यह तो निश्चय है कि वह सत्य ज्ञान देने वाला सुखदाता है क्योंकि हमें यह ज्ञान पहले भी मिला है। यह भी कहा जाता है कि इतिहास स्वयं को दोहराता है। जब परमात्मा आ कर हमें ज्ञान देते हैं तब हमें विश्व नाटक के बारे में ,जो कि अविनाशी चक्र है,ज्ञात होता है। साथ ही हमें स्वयं ,परमात्मा व विनाश के बारे में भी ज्ञात होता है। हम सभी आत्मायें इस विश्व नाटक का भाग हैं, मात्र परमात्मा ही इस वि श्व नाटक से अलग है। वर्त्तमान संगम युग ही वह समय है जब परमात्मा आ कर हमें आत्मा व परमात्मा का परिचय देते हैं। हम बच्चों को यह सत्य ज्ञान, निराकार परमात्मा, साकार प्रजापिता ब्रह्मा तन के द्वारा देते हैं। ब्रह्मा बाबा ,शिव बाबा के रथ हैं और उनके तन द्वारा ,शिव बाबा नई सृष्टि की स्थापना करते हैं। इसलिए बाद में हिन्दू शास्त्रों में ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता कहा गया। Revelations from Murli बाबा की 108 श्रीमत मुरली का महत्व (video) ज्ञान मुरली - ब्राह्मणों का जीवन आधार मुरलियाँ, शिव बाबा के सत्य वचन, ब्रह्मा मुख के माध्यम से साकार रूप में 1951 से 1969 तक उचारे गये महावाक्य हैं। (इसलिए इनको साकार मुरली कहा जाता है) ये अनमोल शिक्षायें सालों-साल से संरक्षित किये गए हैं एवं प्रतिदिन सभी 9000 ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्रों में वितरित किये जाते हैं जिन्हें दैनिक मुरली क्लास में सेवाकेंद्र संचालिका बहन द्वारा अन्य भाई - बहानों के लिए पढ़ा जाता है। मुरली प्रतिदिन उनके बुद्धि के भोजन समान है। इस पाठ्यक्रम द्वारा सभी ईश्वरीय पुरुषार्थियों को सही ढंग से सोचने, जीवन यापन एवं सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। यह किसी प्रकार का मंत्रोच्चारण आदि नहीं है, किन्तु स्वयं के जीवन में दैवीय संकल्प व विवेक का अनुभव करना है। साकार मुरली ५००० साल के कल्प के अंत समय, स्वयं परमात्मा आकर एक साधारण वृद्ध शरीर में प्रवेश कर सभी मनुष्य आत्माओ प्रति सत्य ज्ञान सुनाते है। जिसमे प्रवेश करते है उसका नाम 'प्रजापिता ब्रह्मा' रखते है। 1936 से जनवरी 1969 तक उस साकार शरीर द्वारा ज्ञान मुरली सुनाई गयी जिसे ही साकार मुरली कहा जाता है। उसमे भी 1963 से 1969 तक की मुरली recorded है और आज तक भी वही मुरलियाँ रोज पढ़ी और रिवाइज़ की जाती है। अव्यक्त मुरली जब प्रजापिता ब्रह्मा (साकार बाबा) ने शरीर छोड़ा और अव्यक्त हो गये तब शिव बाबा (परमात्मा) ब्रह्मा बाबा के साथ एक साकारी शरीर में प्रवेश कर यह ज्ञान सुनाने लगे। निराकार शिव बाबा और आकारी ब्रह्मा मिलकर अव्यक्त बापदादा कहे जाते है। यह अव्यक्त पार्ट 1969 से चला था। अव्यक्त मुरली 1969 से 2015 तक के ईश्वरीय मधुर महावाक्य दादी गुलज़ार के तन द्वारा उचारे गये। पुरानी अव्यक्त वाणियां मानव संसार, प्रकृति व समूचे विश्व के सत्य ज्ञान का अनमोल भंडार हैं। मुरली का महत्व हज़ारों ब्राह्मण अपनी दिनचर्या मुरली पढ़ या सुन कर प्रारम्भ करते हैं ताकि वह अपने पारिवारिक संबंधों को श्रीमत के अनुसार आसानी से व्यवस्थित रख सकें। अधिकांश ब्रह्मा कुमार/कुमारियाँ केवल सेवाकेन्द्रों में नहीं अपितु अपने घरों में रहते हैं और इसे ही प्रवृत्ति मार्ग कहा जाता है। प्रवृत्ति में रहते संयमित जीवन जीना ही श्रीमत है। जब हम पवित्रता ( ब्रह्मचर्य ) को अपने जीवन में अपना लेते हैं तब हम ईश्वरीय विद्यार्थी बनते हैं एवं स्वानुभूति और परमपिता परमात्मा शिव बाबा की याद के साथ एक नया जीवन आरम्भ करते हैं। परमात्मा हमसे मुरली के माध्यम से ही बात करते हैं इसलिए मुरली ही हमारी सच्ची मार्गदर्शक है। यह वो अमृत है जिसके द्वारा हम अपने परमपिता परमात्मा से अपना वर्सा प्राप्त करते हैं। वर्सा क्या है ? यह वो नई दुनिया है जिसे परमात्मा स्वयं आ कर स्थापित करते हैं. श्रीमत के द्वारा हम अनेक विषयों से अवगत होते हैं ,जिसे अपने जीवन में कार्यान्वित करने से जीवन में स्वस्थिति व परस्थिति को आसानी से व्यवस्थित किया जा सकता है। सार में ,मुरली हमारे कर्मों का मार्ग दर्शक है। मुरली पढ़ने व इसके गहन चिंतन से हमें अपने कर्मों की गुणवत्ता के पता चलता है। इस ईश्वरीय पढ़ाई का लक्ष्य है दैवीय गुणों द्वारा श्री लक्ष्मी एवं श्री नारायण ( सतयुग के प्रथम मालिक ) बनना और गुणों ,शक्तियों एवं ज्ञान में परमपिता परमात्मा समान बनना। यदि आपको क्लास में आकर मुरली सुनने का समय नहीं है तो प्रतिदिन इसे नेट सेवा द्वारा प्राप्त कर,थोड़ा समय निकाल सार एवं वरदान पढ़ सकते हैं। यदि आप हिंदी समझ सकते हैं तो हम प्रतिदिन की मुरली कविता रूप में भी भेज सकते हैं जिससे आप उस प्रकार से भी मुरली पढ़ व समझ सकें। जैसे जैसे मुरली का ज्ञान प्रतिदिन और गहरा होता जाता है ,समयानुसार अनेकों में जादुई परिवर्तन लाएगा। मुरली सुनने का आनंद तब आता है जब आत्मा ,परमात्मा की याद में हो। जब आप मुरली सुनते हैं तो देही-अभिमानी स्थिति में बैठें। इसके लिए यदि आवश्यक हो तो मुरली शुरू होने से 5 मिनट पहले योग में बैठें । योग के लिए guided comm entaries भी है।
- Sakar Murli Original with English translation | Brahma Kumaris
Listen Shiv baba's original Sakar Murli with point by point English translation. This is original voice murli recordings of God speaking through Prajapita Brahma baba. Original Sakar Murli with English translation Main Page The Original recordings of Shiv baba's Gyan murli in the voice of Prajapita Brahma baba, is backed with its point by point English translation. Shiv Baba himself speaks Murli through Sakar Brahma. This is a gift for our foreign Brahman family (BKs) who understands English and not Hindi. Here are the 'original' versions spoken in Sakar Murlis through Prajapita Brahma that we listen daily. Come re-live the vibrations and fall in love again... Do SHARE this page to BK brothers and sisters in your connection. What is Murli? English playlist Sakar Murli pure Hindi Avyakt Murli recordings
- Online Registration Form to Join Us – Brahma Kumaris
Register your name online with this official Godly registration form for Brahma Kumaris and Kumars (BKs). Join us in bringing the New world. Registration Form (Join Us as a true BK) Hindi form Surrender Letter Guidelines Online Registration form for Brahma Kumari/Kumar. This is the most wonderful form to fill. As you complete and submit this form, your name and details will be submitted in the Godly record. We come closer to the highest purpose of human life by re-awakening our original divine virtues of purity, peace, love, knowledge, and bliss; by following the shrimat (advise) of Shiv baba, our spiritual father. Welcome. After you have followed the first 3 given steps given on this page , then you come here and submit this form to us. Give your details (Name, email, address, how you came in Gyan, since how long and how good you follow the Shrimat ) NOTE : This form is only for those who follow Celibacy (Brahmacharya ) as a way of life and are regular godly students (listen/read gyan murli regularly), and does Purusharth to adopt spiritual virtues. NOTE : Please only submit your name once. Purity (celibacy) is our 'main' subject. So if you have not adopted purity in life, your form cannot be accepted in the Godly record.